25 अक्तूबर को भाई सागर नाहर ने बारिश से त्रस्त होकर फेसबुक पर गुहार लगायी--'किसी को बारिश रोककर एकाध दिन के लिए सूरज के दर्शन कराने का मंतर आता है क्या'।
लोगों ने तरह तरह के उपाय बताये। शिशिर जी ने बताया--' झाड़ू का मुंह ऊपर की तरफ करके आंगन में हत्थे के बल रख दिया जाए।'। या 'तवे को उल्टा करके रख दिया जाये बाहर'। पर बात नहीं बनी। हमने सागर भाई से कहा कि जादू जी को उपाय आते हैं। सागर भाई के कहने पर जादू जी से बात की गयी। और ये रहे बारिश रोकने के उनके उपाय--
1. मैं क्लाउड्स को फोन करूंगा और उनसे कहूंगा कि जाकर समुद्र में डूब जाओ। पर फिर जादू जी को लगा कि अरे इससे तो 'पोब्लम' हो जायेगी। समंदर में शार्क क्लाउड्स के अंदर फंस जायेगी तो बेचारी तैर नहीं पायेगी।
2. इसके बाद जादू जी ने कहा, पापा एक और आयडिया। आप ब्रिज के ऊपर जाना। बलून फुलाना। मैं बलून लेकर उड़ जाऊंगा। दूसरे बलून से आप आ जाना। तीसरे से मम्मा आ जायेंगी। फिर हम क्लाउड्स पर जायेंगे और उन्हें नीचे धकेलेंगे। वो समद्र में डूब जायेंगे और बारिश रूक जायेगी।
3. जादू जी का तीसरा उपाय। मैं क्लाउड्स का सारा पानी लेकर तालाब में फेंक दूंगा तो बादल सोचेगा कि शायद तो ये जादू की शरारत है। ये तो मेरे जादू ने ही किया होगा। चलो उसे ढूंढते हैं। उसके घर जाते हैं। टिंग टॉन्ग। क्लाउड बेल बजायेगा। मैं तो दरवाज़ा बंद करके सो जाऊंगा।
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एक दिन स्कूल से वापस आने पर जादू जी ने ये ज्ञान दिया-- पापा, पता है, कोई कोई लोगों का नाम होता है। जैसे आपका नाम है यूनुस ख़ान। रेडियो पर आप ऐसे बोलते हो--मैं हूं आपका दोस्त यूनुस खान। ... हा हा हा। पर पापा कोई कोई लोगों को नहीं होता। जैसे स्कूल बस के कंडक्टर अंकल और दीदी का नाम नहीं है।
हमने पूछा, अच्छा तो उनका क्या नाम है। जादू खीझ गये। अरे बताया ना कि उनका नाम नहीं है। पापा, पता है नाम कहां होता है। गले के खूब अंदर एक वॉल होती है। वहां लिखा होता है सबका अपना अपना नाम।
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एक दिन जादू बिल्डिंग में नीचे खेल रहे थे। अचानक किसी साथी से रूठ गये। वो उसे मनाने गया तो माने नहीं। फिर पापा गये तो मान गये। ओर बोले... पता है पापा....
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