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Friday, April 1, 2011

चलो परदे के पीछे छिप जायें

आजकल जादू पैनी निगाहों से मम्‍मा को देखता रहता है।

और जैसे ही मम्‍मा को--

1. दवा निकालते देखता है
2. खाना परोसते देखता है

3. (बदलने के लिए) जादू के कपड़े तैयार करते देखता है
4. या कोई भी ऐसा काम करते देखता है--जो उसे झंझट लगे

तो फ़ौरन भागकर हॉल या बेडरूम में पर्दे के पीछे जाकर

कुछ यूं छिपता है कि पता ही ना चले।

कई बार मम्‍मा को धोखा हुआ कि जादू गया कहां।

पर आजकल मम्‍मा समझ गयीं हैं।

और जादू को हमेशा पर्दे के पीछे से ही पकड़ लिया जाता है।

लेकिन बदमाश जादू मम्‍मा को देखते ही पर्दे के पीछे से फुर्ती से

निकल कर छिपने की दूसरी जगह ढूंढता हुआ भाग निकलता है।

घर में मम्‍मा और जादू का 'पकड़ा-पकड़ी' या 'चूहा-बिल्‍ली' का खेल

चलता रहता है।

इंडिया इंडिया इंडिया

लगता है जादू पर भी वर्ल्‍ड कप फाइनल का असर चढ़ गया है।

आज पापा ने जादू से कहा बोलो बेटा 'इंडिया'।

और बस उसके बाद पूरी शाम जादू रटता रहा--'इंडिया इंडिया इंडिया'।

अब बताईये भला कि जब जादू हो तो कल इंडिया क्यों ना जीते।

''थॉली मम्‍मा''

आज जादू ने मम्‍मा की चूडियों का पूरा का पूरा सेट

ज़ोर से फेंक दिया।

चूडियां यहां-वहां बिखर गयीं। (मेटल की थीं, टूटी नहीं)

मम्‍मा को ग़ुस्‍सा आने ही वाला था कि
जादू ने दोनों कान पकड़े और बोला--'थॉली मम्‍मा' (सॉरी मम्‍मा)

ग़ुस्‍सा ख़त्‍म और प्‍यार शुरू।

मम्‍मा ने जादू को गोद में लेकर बहुत प्‍यार किया।

बदमाश जादू।