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Wednesday, February 9, 2011

ऋत्विक भैया

एक दिन जादू के विशेष-भक्‍त, मित्र, गाइड और शरारतों के साथी ऋत्विक भैया

चले आए।

उनका क्‍या हश्र किया गया। इन तस्‍वीरों में देखिए।

1. उनके बाल खींचे गए।

2. उनके सिर पर चढ़कर बैठा गया

3. उनके साथ फुटबॉल, क्रिकेट, दौड़ और छिप्‍पी खेला गया।

अब क्‍या-क्‍या बताएं।

जब ऋत्विक भैया चले गए तो जादू बोला--'बैया नईं आं'

यानी भैया नहीं हैं।

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तबिता

आजकल जादू की सविता मौसी से खूब बनती है।

सोमवार को पूरे दिन जादू मौसी के साथ रहे।

ख़ूब मस्‍ती की।

और तब से आज तक बीच-बीच में ज़ोर-ज़ोर से चिल्‍लाते हैं

'तबिता आने' यानी सविता आईये।

अभी 'मौसी' शब्‍द जादू के शब्‍द-कोष में नहीं है।

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सविता मौसी के साथ जादू की एक पुरानी फोटो।

टेलीफ़ोन

अभी-अभी किसी का लैंड-लाइन पर फोन आया।
जादू ने फौरन उठा लिया।

पहले कुछ अगड़म-बगड़म बोले--अपनी भाषा में।

और फिर मम्‍मा को पकड़ा दिया।

अब जादू मम्‍मा की गोद में बैठकर उनकी बातें सुन रहे हैं।
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