जादू ने रश्मिन भैया के साथ पतंग उड़ाई।
और अब जा रहा है विविध-भारती।
मम्मा को 'पिक-अप' करने।
और हां तिल के लड्डू और खिचड़ी भी खाई।
अब जादू कह रहा है--मम्मा आने। (मम्मा आईये)
नन्हे जादू का अपना t w i t t e r.
जादू की पुड़िया में आपका स्वागत है। चूंकि यहां जादू के बारे में ख़बरें 'कभी-भी' और 'कितनी भी' आ सकती हैं। और हो सकता है कि आप बार-बार ब्लॉग पर ना आ सकें। ऐसे में जादू की ख़बरें हासिल करने के लिए ई-मेल सदस्यता की मदद लें। ताकि 'बुलेटिन' मेल-बॉक्स पर ही आप तक पहुंच सके।
जादू ने रश्मिन भैया के साथ पतंग उड़ाई।
और अब जा रहा है विविध-भारती।
मम्मा को 'पिक-अप' करने।
और हां तिल के लड्डू और खिचड़ी भी खाई।
अब जादू कह रहा है--मम्मा आने। (मम्मा आईये)
जादू ने आज एक नया शब्द सीखा है।
'चामन'
अरे भई 'साबुन' 'साबुन'
उसे बार बार साबुन से हाथ धुलवाना पसंद है।
मम्मा विविध-भारती पर मकर-सक्रांति विशेष मनचाहे गीत कर रही हैं।
जादू DTH पर सुन रहा है।
मम्मा की आवाज़ आते ही जादू डान्स करता है।
और बोलता है--'मम्मा....मम्मा.....मम्म्मा'।
जादू रेडियो पर मम्मा की आवाज़ पहचानता है।
मम्मा दफ्तर में हैं। और जादू पापा से बार-बार पूछ रहा है--'मम्मा नेया'
यानी मम्मा नहीं हैं।
उसके बाद जादू बोलता है--'मम्मा आने'
यानी मम्मा आईये।
आज जादू रोते-रोते उठा।
फिर पापा के साथ ख़ूब खेला।
मम्मा के साथ गाना सीखा--'जिया जले जां जले नैनों तले'।
'डिया डिया डिया डले' 'डी डी डी डी डिया डले'।
बड़ा मज़ा आया।